Waiting Night - A Horror and Bold Short Movie Story

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Screenplay by - RK Prajapati
Story Writing  - Shivnandan 

Waiting Night - A Horror and Bold Short Movie Story - Poster Design by RK Prajapati


            श्याम के धुंधले वातावरण में समीर ना जाने किस हड़बड़ाहट में जल्दी से जल्दी रेलवे स्टेषन पहुंचने की कोशिश कर रहा था। उसे लग रहा था कि यदि देरी हो गयी तो उसकी ट्रेन छूट जायेगी तो वह कहां जायेगा। इसी उधेड़बून में वह सोचता हुआ जल्दी से स्टेषन पर पहुंचा। जहां पर सूनसान रेलवे स्टेषन को देखकर उसे लगा कि यहां पर कोई रेलगाड़ी आती भी है या नहीं। दूर दूर तक पूरा स्टेषन नीरवता की गोद में खोता हुआ सा महसूस हो रहा था। अचानक उसकी नजर स्टेशन के केम्पस के भीतर पोर्च में एक खिड़की से किसी के खांसने की आवाज आती है तो उसे थोड़ी हिम्मत बंधी कि यहां पर उसके अलावा कोई और भी है। उसने जल्दी से खिड़की पर जाकर उंची आवाज में पूछा तो समीर की आवाज पूरे वातावरण में एक बार गूंज गयी। खिड़की के अंदर झांककर देखने का प्रयास किया तो एक करीब पचपन साल का बुढ़ा जिसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी छायी हुयी थी। जिसे देखकर लग रहा था कि वह इंसान शायद कई सालों से इसी खिड़की पीछे काला कोट पहने हुये बैठा हुआ किसी के आने का इंतजार कर रहा है। उसके मोटे चष्मे के पीछे से बुढ़ी आंखों में एक अजीब सी दास्तां कह रही थी। 

          समीर ने उतावले होते हुये उससे पूछा कि सर दिल्ली जाने के लिए अभी कोई गाड़ी है। शायद स्टेशन मास्टर उसकी आवाज को सूना नहीं हो, उस स्टेशन मास्टर ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। शायद उसको उंचा सूनता हो यही सोचकर समीर ने दोबारा गले से जोर लगाकर पूछा तो स्टेशन मास्टर ने बड़े धीरे से जवाब दिया कि दिल्ली जाने वाली रेलगाड़ी करीब चार घंटे देरी से आने की संभावना है। यह सूनकर समीर मुड़ने लगा तो उसने कहा सूनो कभी आती है और कभी नहीं भी आती। यह सूनकर समीर का ओर दिल बैठ गया। वह  चूपचाप वहां से प्लेट फार्म जाकर देखता है कि दूर-दूर तक बिल्कुल कोई दिखाई नहीं दे रहा है। पूरे वातावरण में एक उदासी घुली हुई जिससे एक डरावना सा माहौल बन रहा है। समीर थोड़ा आगे बढ़ता है तो उसे लगा कि दो नंबर प्लेट फार्म पर बनी एक कोने की बैंच पर कोई बैठा हुआ है। जिसे देखकर उसकी जान में जान आती है। उसने सोचा कि चलो एक से भले दो। वह पुलिया पार करके एक प्लेट फार्म दूसरे प्लेट फार्म पर पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़ने लगता है। इसी दौरान तेज हवा चलने से एक बार उसके कदम लड़खड़ाने लगते हैं। लाइट कभी जलने लगती है और कभी बूझने लगती है। इसी के साथ दूर कुत्तों के रोने की आवाज आने लगती है। जिससे समीर के मन में कुछ खौफ सा पैदा होने लगता है। पुलिया के दूसरी  साइड उतरते समय देखता है कि दूसरे नंबर के प्लेट फार्म पर कोने की बैंच पर जो लड़की बैठी हुयी है वह दिखाई नहीं दे रही है। 

            उसने सोचा शा यद उसे किसी के बैठे होने का भ्रम पैदा हो गया हो लगता है यहां पर कोई नहीं है केवल वह अकेला ही है। यही सोचकर आगे बढ़ने लगता है। इस दौरान स्टेशन की लाईट गुल हो जाती है। समीर सीढ़ियों से जरा और संभलकर उतरने लगता है। वह जेब से मोबाइल निकालकर उसकी टार्च जलाकर रास्ता देखना चाहता है लेकिन वह अपने दोस्त के घर से जो मोबाइल फूल चार्ज करके लाया वह तो बंद हो गया है। उसने जेब से लाइटर निकालकर आगे बढ़ना चाहा। वह धीरे धीरे चलकर उस बैंच के बिल्कुल करीब पहुंचकर देखता है कि एक खुबसूरत व हसीन लड़की जिसके बाल खुले हुये हैं। उसके जिस्म पर कपड़े नाम मात्र के हैं। वह बैठी हुयी है। उसने हिम्मत करके के पूछा कि एक्सक्यूज मी आप भी दिल्ली जायेंगी। लड़की ने बड़े अनमने ढंग से जवाब देते हुये कहा कि आपसे मतलब। यह सूनकर समीर उससे बिना पूछे उसके बगल में बैठ जाता है। 

          वह उस अनजान लड़की से कुछ बात करना चाहता है लेकिन कुछ कह नहीं पाता। करीब पंद्रह मिनट गुजरने के बाद वह उससे दोबारा बात करने की कोशिश करता है। इस तरह से लड़की के साथ समीर कई दफा बात करने का प्रयास करता है। इसके बाद उनमें बातचीत का सिलसिला शुरु हो जाता है। समीर लड़की से कहता है कि चार के तो पांच घंटे गुजर गये मैं स्टेषन मास्टर को पूछकर आता हूं कि और कितनी देर से गाड़ी आयेगी। 

          इस कहानी में बहुत कुछ होता है जो हम यहाँ शेयर नहीं कर सकते है, आगे चलकर कहानी बहुत ही डरावनी और खतरनाक होती जाती है, लड़के और लड़की के बिच शारीरिक सम्बन्ध भी होते है और उन दोनों में से एक भूत (आत्मा ) होता है 

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Shooting Done at Rajasthan 

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